पारद शिवलिंग कैसा होता है THINGS TO KNOW BEFORE YOU BUY

पारद शिवलिंग कैसा होता है Things To Know Before You Buy

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स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से नहीं।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग की पूजा करने से ग्रह दोषों से रक्षा मिलती है।

पारद  शिवलिंग भगवान शिव शंकर जी का एक चमत्कारी शिवलिंग होता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार इसे घर पर या अपने कार्यालय मे रखने से धन मे वृद्धि होती है, समाज मे पद-प्रतिष्ठा बढ़ती है और साथ ही जीवन में अपार खुशिया आती है ।

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समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न विष को पीकर भगवान शिव ने संसार को इसके विनाश से सुरक्षित रखा था। विष पीने से उनका कंठ नीला हो गया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। विष की पीड़ा से उत्पन्न दाह को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुरू किया था तब से यह परंपरा आज भी जारी है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और इसकी पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है।

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वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में प्रत्येक महायुग के पश्चात समस्त here संसार इसी शिवलिंग में मिल जाता है और फिर संसार इसी शिवलिंग से सृजन होता है। फिर, जब नया सृजन होता है, तो यह शिवलिंग ही नए ब्रह्मांड का आधार बनता है। इसीलिए शिवलिंग को संपूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। 

उपरोक्त कार्य सोमवार, त्रयोदशी, शिवरात्रि या श्रावण के मास में नित्य करेंगे, तो लाभ मिलेगा।

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शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है। शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि हर एक बेलपत्र में तीन पत्तियां हों और वह पत्तियां कहीं से कटी हुई न हो।

साथ ही इसका आकार आपके अंगूठे के ऊपर वाले पोर से ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए।

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शिवलिंग के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो शिव का अर्थ 'परम' कल्याणकारी है और लिंग का अर्थ 'सृजन' या 'प्रतीक' है। तो, शिवलिंग एक तरह से भगवान शिव का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और ऊपर के भाग में भगवान शंकर विराजमान हैं।

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